जूट हथकरघा बुनकर को करघे पर जूट फाइबर बुनाई का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें बुनाई करघे के संचालन में प्रशिक्षित किया जाता है और हथकरघा मशीन के उचित कामकाज को सुनिश्चित किया जाता है। उन्हें बुनकर के स्वास्थ्य और सुरक्षा पहलुओं को सुनिश्चित करने के साथ-साथ अच्छी गुणवत्ता वाले बुने हुए उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
व्यक्तिगत क्षमताएं
• आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हों।
• आपकी आंखों और हाथों का समन्वय अच्छा हो।
• आप ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और लंबे समय तक काम कर सकते हों।
• आप निर्देशों का अच्छी तरह से पालन कर सकते हों।
प्रवेश मार्ग
न्यूनतम योग्यता
कक्षा 8 उत्तीर्ण करने के बाद और नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एन.एस.क्यू.एफ.)* स्तर 4 जूट हथकरघा बुनकर पाठ्यक्रम के लिए नामांकन के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। पाठ्यक्रम के लिए नामांकन के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
कृपया नामांकन के दौरान पाठ्यक्रम अवधि की जांच करें।
शैक्षिक संस्थान
संस्थानों की यह सूची केवल सांकेतिक है।
सरकारी संस्थान
1. हथकरघा प्रशिक्षण संस्थान, बारपेटा, असम
2. हथकरघा प्रशिक्षण संस्थान, नागांव, असम
3. हथकरघा प्रशिक्षण संस्थान, लखीमपुर, उत्तर प्रदेश
4. हथकरघा प्रशिक्षण संस्थान, बस्का, असम
फीस
अनुमानित पाठ्यक्रम शुल्क रूपए 10,000 - 50,000* के बीच है ।
*उपरोक्त आंकड़े अनुमानित हैं। यह अलग-अलग संस्थानों में भिन्न हो सकते हैं।
छात्रवृत्ति/ऋण
छात्रवृत्ति
• सभी नवीनतम जानकारियों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल http://www.scholarships.gov.in पर जाएं। इस पोर्टल के अंतर्गत केंद्र के विभिन्न विभागों, यू.जी.सी./ए.आई.सी.टी.ई. योजनाओं और राज्य शासन की योजनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।*
• योग्यता के आधार पर संस्थानों द्वारा भी छात्रवृत्तियां उपलब्ध कराई जाती हैं।*
*(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न हो सकती है।)
ऋण
• विद्यालक्ष्मी, http://www.vidyalakshmi.co.in , शिक्षा ऋण लेने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एक पोर्टल है। यह पोर्टल वित्तीय सेवा विभाग (वित्त मंत्रालय), उच्च शिक्षा विभाग (शिक्षा मंत्रालय) और भारतीय बैंक संघ (आई.बी.ए.) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है , पोर्टल पर कभी भी विद्यार्थी बैंकों में शिक्षा ऋण आवेदनों को देख सकते हैं, आवेदन कर सकते हैं और शिक्षा ऋण की तथागत स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
• कुछ राज्यों में कम ब्याज दर पर विद्यार्थी क्रेडिट कार्ड भी उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, आदि।
• सभी बैंक शिक्षा ऋण प्रदान करते हैं।
आप कहाँ पर कार्य करेंगे
कार्य स्थल : जूट शिल्प बुनाई एजेंसी, जूट निर्माण एजेंसी।
उद्यमिता: यदि आपके घर में हथकरघा है तो एजेंसियों से ऑर्डर लिया जा सकता है।
कार्य वातावरण: एक सामान्य कार्यदिवस 8-9 घंटे का होता है और सप्ताह में 6 दिन होता है।
इस क्षेत्र में विशेष आवश्यकता समूह वालों के लिए कार्य के अवसर उपलब्ध हैं।
किस प्रकार तरक्की कर सकते हैं
प्रशिक्षु बुनकर → जूट बुनकर → पर्यवेक्षक
अपेक्षाकृत वेतन
जूट हथकरघा बुनकर की आय रुपए 10,149 - 11,269* प्रतिमाह हो सकती है।
वे दिन अब बीत चुके हैं जब जूट का इस्तेमाल केवल पैकेजिंग के लिए बोरियों के निर्माण में कच्चे माल के रूप में किया जाता था। अब यह पर्यावरण के प्रति अपनी मित्रता के कारण फैशन और हस्तशिल्प उद्योगों में एक नई लहर पैदा कर रहा है, जो जीवनशैली उत्पादों के लिए एक नए स्रोत के रूप में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में लोकप्रिय हो रहा है। बढ़ते हुए मुनाफे ने कृष्णेंदु दत्ता जैसे युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रेरित किया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ैशन टेक्नोलॉजी से स्नातक, दत्ता अब न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जूट उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने बताया, "एक बेहतरीन चमड़े के बैग की कीमत लगभग रुपए 800 होती है, जबकि उतने ही फैशनेबल जूट बैग की कीमत सिर्फ रुपए 250 होती है।" दत्ता को उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में निर्यात में 200 प्रतिशत की वृद्धि होगी। वर्ष 1999 से जूट के विविध उत्पादों के निर्यात में 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जो पिछले साल रुपए 250 करोड़ (2.5 बिलियन रुपये) के आंकड़े को पार कर गया है। श्रम-प्रधान जूट उद्योग देश भर में फैली 12,000 इकाइयों में कार्यरत लगभग दो लाख कारीगरों को रोज़गार प्रदान कर रहा है।
जूट हथकरघा बुनकर
NCS Code: NA | TST043• आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हों।
• आपकी आंखों और हाथों का समन्वय अच्छा हो।
• आप ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और लंबे समय तक काम कर सकते हों।
• आप निर्देशों का अच्छी तरह से पालन कर सकते हों।
न्यूनतम योग्यता
कक्षा 8 उत्तीर्ण करने के बाद और नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एन.एस.क्यू.एफ.)* स्तर 4 जूट हथकरघा बुनकर पाठ्यक्रम के लिए नामांकन के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। पाठ्यक्रम के लिए नामांकन के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
कृपया नामांकन के दौरान पाठ्यक्रम अवधि की जांच करें।
संस्थानों की यह सूची केवल सांकेतिक है।
सरकारी संस्थान
1. हथकरघा प्रशिक्षण संस्थान, बारपेटा, असम
2. हथकरघा प्रशिक्षण संस्थान, नागांव, असम
3. हथकरघा प्रशिक्षण संस्थान, लखीमपुर, उत्तर प्रदेश
4. हथकरघा प्रशिक्षण संस्थान, बस्का, असम
अनुमानित पाठ्यक्रम शुल्क रूपए 10,000 - 50,000* के बीच है ।
*उपरोक्त आंकड़े अनुमानित हैं। यह अलग-अलग संस्थानों में भिन्न हो सकते हैं।
छात्रवृत्ति
• सभी नवीनतम जानकारियों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल http://www.scholarships.gov.in पर जाएं। इस पोर्टल के अंतर्गत केंद्र के विभिन्न विभागों, यू.जी.सी./ए.आई.सी.टी.ई. योजनाओं और राज्य शासन की योजनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।*
• योग्यता के आधार पर संस्थानों द्वारा भी छात्रवृत्तियां उपलब्ध कराई जाती हैं।*
*(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न हो सकती है।)
ऋण
• विद्यालक्ष्मी, http://www.vidyalakshmi.co.in , शिक्षा ऋण लेने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एक पोर्टल है। यह पोर्टल वित्तीय सेवा विभाग (वित्त मंत्रालय), उच्च शिक्षा विभाग (शिक्षा मंत्रालय) और भारतीय बैंक संघ (आई.बी.ए.) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है , पोर्टल पर कभी भी विद्यार्थी बैंकों में शिक्षा ऋण आवेदनों को देख सकते हैं, आवेदन कर सकते हैं और शिक्षा ऋण की तथागत स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
• कुछ राज्यों में कम ब्याज दर पर विद्यार्थी क्रेडिट कार्ड भी उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, आदि।
• सभी बैंक शिक्षा ऋण प्रदान करते हैं।
कार्य स्थल : जूट शिल्प बुनाई एजेंसी, जूट निर्माण एजेंसी।
उद्यमिता: यदि आपके घर में हथकरघा है तो एजेंसियों से ऑर्डर लिया जा सकता है।
कार्य वातावरण: एक सामान्य कार्यदिवस 8-9 घंटे का होता है और सप्ताह में 6 दिन होता है।
इस क्षेत्र में विशेष आवश्यकता समूह वालों के लिए कार्य के अवसर उपलब्ध हैं।
प्रशिक्षु बुनकर → जूट बुनकर → पर्यवेक्षक
जूट हथकरघा बुनकर की आय रुपए 10,149 - 11,269* प्रतिमाह हो सकती है।
स्रोत: https://www.ambitionbox.com/profile/weaver-salary
*उल्लेखित आय सांकेतिक एवं परिवर्तनीय है।
फील्ड के कुछ अनुभव
वे दिन अब बीत चुके हैं जब जूट का इस्तेमाल केवल पैकेजिंग के लिए बोरियों के निर्माण में कच्चे माल के रूप में किया जाता था। अब यह पर्यावरण के प्रति अपनी मित्रता के कारण फैशन और हस्तशिल्प उद्योगों में एक नई लहर पैदा कर रहा है, जो जीवनशैली उत्पादों के लिए एक नए स्रोत के रूप में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में लोकप्रिय हो रहा है। बढ़ते हुए मुनाफे ने कृष्णेंदु दत्ता जैसे युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रेरित किया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ैशन टेक्नोलॉजी से स्नातक, दत्ता अब न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जूट उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने बताया, "एक बेहतरीन चमड़े के बैग की कीमत लगभग रुपए 800 होती है, जबकि उतने ही फैशनेबल जूट बैग की कीमत सिर्फ रुपए 250 होती है।" दत्ता को उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में निर्यात में 200 प्रतिशत की वृद्धि होगी। वर्ष 1999 से जूट के विविध उत्पादों के निर्यात में 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जो पिछले साल रुपए 250 करोड़ (2.5 बिलियन रुपये) के आंकड़े को पार कर गया है। श्रम-प्रधान जूट उद्योग देश भर में फैली 12,000 इकाइयों में कार्यरत लगभग दो लाख कारीगरों को रोज़गार प्रदान कर रहा है।
स्रोत: https://m.rediff.com/money/2005/nov/04jute.htm
*उपरोक्त जानकारी केवल प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए है और इसका उपयोग किसी व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जाएगा।