चटाई बुनने वाले को बांस के विभिन्न पैटर्न और डिज़ाइन के अनुसार अनुभवी और रंगीन बांस की पट्टियों से चटाई बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें बुनाई की पूर्व प्रक्रियाओं में भी प्रशिक्षित किया जाता है, जैसे पहले से कटे हुए बांस के डंडों को पानी में भिगोकर नरम और ब्लीच करना। इसके बाद, वे सीखते हैं कि नरम बांस की पट्टियों को कैसे निकालना है, और उन्हें काटकर तथा स्प्लिंट्स को हटाकर मनचाहे आकार और मोटाई में विभाजित करना है। वे पट्टियों को वांछित पैटर्न के अनुसार रंगने और उन्हें चटाई में बुनने का भी अभ्यास करते हैं। इसके अलावा, वे किनारों को खत्म करने के लिए ढीले सिरों को काटने, छिपाने या एक साथ बुनने की तकनीकें भी सीखते हैं। अंत में, उन्हें करघे का उपयोग करके एक तैयार चटाई बनाना होता है।
व्यक्तिगत क्षमताएं
•आप में लंबे समय तक बैठकर काम करने की क्षमता हो।
•आपके हाथों और आंखों का समन्वय अच्छा हो।
•आपको कलात्मक चीज़ें बनाना पसंद हो।
•आप संचार कौशल में निपुण हों।
प्रवेश मार्ग
न्यूनतम योग्यता
कक्षा 8 उत्तीर्ण करने के बाद नेशनल स्किल्स क्वालिफिकेशन्स फ्रेमवर्क (एन.एस.क्यू.एफ)’ स्तर 3 बांस चटाई बुनकर पाठ्यक्रम में नामांकन कर सकते हैं, इसके लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
कृपया नामांकन के दौरान पाठ्यक्रम अवधि की जांच करें।
शैक्षिक संस्थान
संस्थानों की यह सूची केवल सांकेतिक है। सरकारी संस्थान
1. केंद्रीय बांस एवं रतन संस्थान (सी.आई.बी.आर.), गुवाहाटी असम
2. वानिकी अनुसंधान संस्थान (एफ.आर.आई.), देहरादून, उत्तराखंड
3. भारतीय वानिकी अनुसंधान परिषद संस्थान (आई.सी.एफ.आर.आई.), उत्तराखंड
4. भारतीय शिल्प परिषद, चेन्नई, तमिलनाडु
5. बांस शंकु विकास केंद्र (सी.बी.सी.डी.), गुवाहाटी, असम
फीस
अनुमानित पाठ्यक्रम शुल्क रुपए 10,000 – 50,000* के बीच है। *उपरोक्त आंकड़े अनुमानित हैं। यह अलग-अलग संस्थानों में भिन्न हो सकते हैं।
छात्रवृत्ति/ऋण
छात्रवृत्ति
• सभी नवीनतम जानकारियों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल http://www.scholarships.gov.in पर जाएं। इस पोर्टल के अंतर्गत केंद्र के विभिन्न विभागों, यू.जी.सी./ए.आई.सी.टी.ई. योजनाओं और राज्य शासन की योजनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।*
योग्यता के आधार पर संस्थानों द्वारा भी छात्रवृत्तियां उपलब्ध कराई जाती हैं।* *(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न हो सकती है।)
ऋण
•विद्यालक्ष्मी, http://www.vidyalakshmi.co.in , शिक्षा ऋण लेने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एक पोर्टल है। यह पोर्टल वित्तीय सेवा विभाग (वित्त मंत्रालय), उच्च शिक्षा विभाग (शिक्षा मंत्रालय) और भारतीय बैंक संघ (आई.बी.ए.) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है , पोर्टल पर कभी भी विद्यार्थी बैंकों में शिक्षा ऋण आवेदनों को देख सकते हैं, आवेदन कर सकते हैं और शिक्षा ऋण की तथागत स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
•कुछ राज्यों में कम ब्याज दर पर विद्यार्थी क्रेडिट कार्ड भी उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, आदि।
•सभी बैंक शिक्षा ऋण प्रदान करते हैं।
आप कहाँ पर कार्य करेंगे
कार्य स्थल : बांस शिल्प निर्माण एजेंसी, बांस शिल्प बेचने वाली दुकानें, बांस कौशल मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह और गैर सरकारी संगठन।
कार्य वातावरण: आमतौर पर सप्ताह में 6 दिन और प्रतिदिन 8/10 घंटे काम करना होता है।
इस क्षेत्र में विशेष आवश्यकता समूह वालों के लिए कार्य के अवसर उपलब्ध हैं।
किस प्रकार तरक्की कर सकते हैं
सहायक→ चटाई बुनकर, बांस →प्रक्रिया पर्यवेक्षक → प्रक्रिया प्रबंधक
अपेक्षाकृत वेतन
बांस की चटाई बुनकर की आय रुपए 10,000 - 12,000* प्रतिमाह हो सकती है। अनुभव के बाद बांस की चटाई बुनकर की आय रुपए 13,000 - 15,500* प्रतिमाह हो सकती है।
आकांक्षा बत्रा ग्रीन कलेक्टिव (टी.जी.सी) की संस्थापक हैं, जो बेंत, बांस, रतन, जलकुंभी और स्थानीय घास जैसी टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों से बने उत्पाद पेश करती हैं। उनके प्रयासों का लक्ष्य घर की सजावट और फर्नीचर में बदलाव लाना है, जिसके लिए वे सदियों पुरानी तकनीकों का उपयोग करते हुए आधुनिक और समकालीन डिजाइन तैयार करती हैं। टी जी सी का मुख्य उद्देश्य भारतीय कारीगरों की विरासत को सम्मानित करना और समकालीन घर की सजावट तथा फर्नीचर के लिए टिकाऊ प्राकृतिक सामग्रियों से हाथ से तैयार की गई वस्तुएं प्रदान करना है।
बांस की चटाई बुनकर
NCS Code: NA | TST011•आप में लंबे समय तक बैठकर काम करने की क्षमता हो।
•आपके हाथों और आंखों का समन्वय अच्छा हो।
•आपको कलात्मक चीज़ें बनाना पसंद हो।
•आप संचार कौशल में निपुण हों।
न्यूनतम योग्यता
कक्षा 8 उत्तीर्ण करने के बाद नेशनल स्किल्स क्वालिफिकेशन्स फ्रेमवर्क (एन.एस.क्यू.एफ)’ स्तर 3 बांस चटाई बुनकर पाठ्यक्रम में नामांकन कर सकते हैं, इसके लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
कृपया नामांकन के दौरान पाठ्यक्रम अवधि की जांच करें।
संस्थानों की यह सूची केवल सांकेतिक है।
सरकारी संस्थान
1. केंद्रीय बांस एवं रतन संस्थान (सी.आई.बी.आर.), गुवाहाटी असम
2. वानिकी अनुसंधान संस्थान (एफ.आर.आई.), देहरादून, उत्तराखंड
3. भारतीय वानिकी अनुसंधान परिषद संस्थान (आई.सी.एफ.आर.आई.), उत्तराखंड
4. भारतीय शिल्प परिषद, चेन्नई, तमिलनाडु
5. बांस शंकु विकास केंद्र (सी.बी.सी.डी.), गुवाहाटी, असम
अनुमानित पाठ्यक्रम शुल्क रुपए 10,000 – 50,000* के बीच है।
*उपरोक्त आंकड़े अनुमानित हैं। यह अलग-अलग संस्थानों में भिन्न हो सकते हैं।
छात्रवृत्ति
• सभी नवीनतम जानकारियों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल http://www.scholarships.gov.in पर जाएं। इस पोर्टल के अंतर्गत केंद्र के विभिन्न विभागों, यू.जी.सी./ए.आई.सी.टी.ई. योजनाओं और राज्य शासन की योजनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।*
योग्यता के आधार पर संस्थानों द्वारा भी छात्रवृत्तियां उपलब्ध कराई जाती हैं।*
*(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न हो सकती है।)
ऋण
•विद्यालक्ष्मी, http://www.vidyalakshmi.co.in , शिक्षा ऋण लेने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एक पोर्टल है। यह पोर्टल वित्तीय सेवा विभाग (वित्त मंत्रालय), उच्च शिक्षा विभाग (शिक्षा मंत्रालय) और भारतीय बैंक संघ (आई.बी.ए.) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है , पोर्टल पर कभी भी विद्यार्थी बैंकों में शिक्षा ऋण आवेदनों को देख सकते हैं, आवेदन कर सकते हैं और शिक्षा ऋण की तथागत स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
•कुछ राज्यों में कम ब्याज दर पर विद्यार्थी क्रेडिट कार्ड भी उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, आदि।
•सभी बैंक शिक्षा ऋण प्रदान करते हैं।
कार्य स्थल : बांस शिल्प निर्माण एजेंसी, बांस शिल्प बेचने वाली दुकानें, बांस कौशल मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह और गैर सरकारी संगठन।
कार्य वातावरण: आमतौर पर सप्ताह में 6 दिन और प्रतिदिन 8/10 घंटे काम करना होता है।
इस क्षेत्र में विशेष आवश्यकता समूह वालों के लिए कार्य के अवसर उपलब्ध हैं।
सहायक→ चटाई बुनकर, बांस →प्रक्रिया पर्यवेक्षक → प्रक्रिया प्रबंधक
बांस की चटाई बुनकर की आय रुपए 10,000 - 12,000* प्रतिमाह हो सकती है। अनुभव के बाद बांस की चटाई बुनकर की आय रुपए 13,000 - 15,500* प्रतिमाह हो सकती है।
स्रोत: https://bit.ly/3jvZtIU
*उल्लेखित आय सांकेतिक एवं परिवर्तनीय है।
फील्ड के कुछ अनुभव
आकांक्षा बत्रा ग्रीन कलेक्टिव (टी.जी.सी) की संस्थापक हैं, जो बेंत, बांस, रतन, जलकुंभी और स्थानीय घास जैसी टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों से बने उत्पाद पेश करती हैं। उनके प्रयासों का लक्ष्य घर की सजावट और फर्नीचर में बदलाव लाना है, जिसके लिए वे सदियों पुरानी तकनीकों का उपयोग करते हुए आधुनिक और समकालीन डिजाइन तैयार करती हैं। टी जी सी का मुख्य उद्देश्य भारतीय कारीगरों की विरासत को सम्मानित करना और समकालीन घर की सजावट तथा फर्नीचर के लिए टिकाऊ प्राकृतिक सामग्रियों से हाथ से तैयार की गई वस्तुएं प्रदान करना है।
स्रोत: http://www.dhriti.com
*उपरोक्त जानकारी केवल प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए है और इसका उपयोग किसी व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जाएगा।