हैंड क्रोशिया लेस मेकर विभिन्न घटकों को क्रोशे करने के लिए उत्तरदायी होते हैं। इस भूमिका में व्यक्ति को दिए गए विनिर्देशों के अनुसार विभिन्न प्रकार के धागों का उपयोग करके क्रोशे लेस बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस नौकरी के लिए क्रोशे लेस बनाने में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल की गहन जानकारी होना आवश्यक है। क्रोशे लेस का उपयोग परिधानों, एक्सेसरीज़, और फर्निशिंग उत्पादों के निर्माण में किया जाता है।
व्यक्तिगत क्षमताएं
• आपमें कलात्मक प्रवृत्ति हो।
• आपकी आंखें और हाथों का समन्वय बहुत अच्छा हो।
• आपको नवीन वस्तुएं बनाना पसंद हो।
• आपको निर्देशों का पालन करना पसंद हो।
प्रवेश मार्ग
न्यूनतम योग्यता
कक्षा 8 उत्तीर्ण करने के बाद क्रोशिया लेस मेकर- फर्निशिंग के नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एन.एस.क्यू.एफ.)* स्तर 3 पाठ्यक्रम में नामांकन कर सकते हैं। न्यूनतम आयु 15 वर्ष होनी आवश्यक है।
कृपया नामांकन के दौरान पाठ्यक्रम अवधि की जांच करें।
शैक्षिक संस्थान
कार्य स्थल : क्रोशिया शिल्प निर्माण एजेंसी, क्रोशिया शिल्प बेचने वाली दुकानें, स्वयं सहायता समूह और एनजीओ हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र।
कार्य वातावरण: आम तौर पर सप्ताह में 5-6 दिन 8-9 घंटे काम करना होता है। अतिरिक्त समय की आवश्यकता हो सकती है।
इस क्षेत्र में विशेष आवश्यकता समूह वालों के लिए कार्य के अवसर उपलब्ध हैं।
फीस
अनुमानित पाठ्यक्रम शुल्क रूपए 10,000 - 50,000* के बीच है ।
*उपरोक्त आंकड़े अनुमानित हैं। यह अलग-अलग संस्थानों में भिन्न हो सकते हैं।
छात्रवृत्ति/ऋण
छात्रवृत्ति
• सभी नवीनतम जानकारियों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल http://www.scholarships.gov.in पर जाएं। इस पोर्टल के अंतर्गत केंद्र के विभिन्न विभागों, यू.जी.सी./ए.आई.सी.टी.ई. योजनाओं और राज्य शासन की योजनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।*
• योग्यता के आधार पर संस्थानों द्वारा भी छात्रवृत्तियां उपलब्ध कराई जाती हैं।*
*(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न हो सकती है।)
ऋण
• विद्यालक्ष्मी, http://www.vidyalakshmi.co.in , शिक्षा ऋण लेने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एक पोर्टल है। यह पोर्टल वित्तीय सेवा विभाग (वित्त मंत्रालय), उच्च शिक्षा विभाग (शिक्षा मंत्रालय) और भारतीय बैंक संघ (आई.बी.ए.) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है , पोर्टल पर कभी भी विद्यार्थी बैंकों में शिक्षा ऋण आवेदनों को देख सकते हैं, आवेदन कर सकते हैं और शिक्षा ऋण की तथागत स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
• कुछ राज्यों में कम ब्याज दर पर विद्यार्थी क्रेडिट कार्ड भी उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, आदि।
• सभी बैंक शिक्षा ऋण प्रदान करते हैं।
आप कहाँ पर कार्य करेंगे
कार्य स्थल : क्रोशिया शिल्प निर्माण एजेंसी, क्रोशिया शिल्प बेचने वाली दुकानें, स्वयं सहायता समूह और एनजीओ हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र।
कार्य वातावरण: आम तौर पर सप्ताह में 5-6 दिन 8-9 घंटे काम करना होता है। अतिरिक्त समय की आवश्यकता हो सकती है।
इस क्षेत्र में विशेष आवश्यकता समूह वालों के लिए कार्य के अवसर उपलब्ध हैं।
किस प्रकार तरक्की कर सकते हैं
सहायक → क्रोशिया लेस मेकर- फर्निशिंग(एक्सेसरीज) → प्रोसेस सुपरवाइजर
अपेक्षाकृत वेतन
क्रोशिया लेस मेकर- फर्निशिंग की आय रुपए 8,000 - 20,200* प्रतिमाह हो सकती है।
उद्यमी तारिषी जैन निश्चित रूप से ऐसी महिला हैं जो हाथ से बनी चीज़ों को प्राथमिकता देती हैं। वर्ष 2015 में, जब वह गर्भवती थीं, उनकी सास ने एक खूबसूरत फ्रॉक बुना, जिसने उन्हें बेहद प्रभावित किया। बुनाई और क्रोशिया में कुशल होने के कारण, उन्होंने इस कला को फिर से अपनाने का फैसला किया। 34 वर्षीय तारिषी याद करती हैं, "मुझे हमेशा से इन गतिविधियों में शामिल होना पसंद था, लेकिन समय के साथ मैं इससे दूर हो गई थी। उस सुंदर फ्रॉक को देखकर, मुझे याद आया कि मैं कैसे क्रोशिया करके खूबसूरत टीवी कवर, रुमाल और लेस बनाती थी। इसलिए, मैंने फिर से इसे आजमाने का निर्णय लिया और दो दिनों में, मैंने अपनी बेटी के लिए एक और सुंदर फ्रॉक बना डाली।"
धीरे-धीरे, उनकी बनी हुई सुंदर वस्तुओं ने दोस्तों और परिचितों का ध्यान खींचा, जिन्होंने उनसे अपने बच्चों के लिए बुनाई करने का अनुरोध किया। मांग बढ़ने पर, तारिषी ने बुनाई और क्रोशिया की कला को और भी लोगों के साथ साझा करने का सोचा। उन्होंने महसूस किया कि एक उद्यम शुरू करके, वह उन महिलाओं की मदद कर सकती हैं जो अपने घरों में आराम से काम करना चाहती हैं। इसी उद्देश्य से वर्ष 2018 में ‘अजूबा’ की स्थापना हुई।
‘अजूबा’ एक स्टार्टअप है जो चार साल तक के बच्चों के लिए हाथ से बने ऊनी क्रोकेट और बुने हुए कपड़े बेचता है। यह स्टार्टअप हरियाणा के सोनीपत में स्थित है और सक्रिय रूप से संचालित होता है। तारिषी के स्टार्टअप शुरू करने के बाद, उनके पति ने भी अपनी नौकरी छोड़कर ‘अजूबा’ के संचालन का जिम्मा संभाल लिया। अब, लगभग चार साल बाद, ‘अजूबा’ को हर महीने करीब 4,000 ऑर्डर मिलते हैं। पिछले एक साल में, इस स्टार्टअप ने 20,000 से अधिक बच्चों को कपड़े पहनाए हैं और वे वर्तमान में 112 कारीगरों के साथ काम कर रहे हैं, जिनमें से अधिकांश गृहिणियां हैं जो इन सुंदर उत्पादों को हाथ से बनाती हैं। पिछले एक साल में, ‘अजूबा’ ने छोटे स्तर पर संचालन करते हुए 1.4 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार किया है।
क्रोशिया लेस मेकर- फर्निशिंग
NCS Code: NA | TST022• आपमें कलात्मक प्रवृत्ति हो।
• आपकी आंखें और हाथों का समन्वय बहुत अच्छा हो।
• आपको नवीन वस्तुएं बनाना पसंद हो।
• आपको निर्देशों का पालन करना पसंद हो।
न्यूनतम योग्यता
कक्षा 8 उत्तीर्ण करने के बाद क्रोशिया लेस मेकर- फर्निशिंग के नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एन.एस.क्यू.एफ.)* स्तर 3 पाठ्यक्रम में नामांकन कर सकते हैं। न्यूनतम आयु 15 वर्ष होनी आवश्यक है।
कृपया नामांकन के दौरान पाठ्यक्रम अवधि की जांच करें।
कार्य स्थल : क्रोशिया शिल्प निर्माण एजेंसी, क्रोशिया शिल्प बेचने वाली दुकानें, स्वयं सहायता समूह और एनजीओ हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र।
कार्य वातावरण: आम तौर पर सप्ताह में 5-6 दिन 8-9 घंटे काम करना होता है। अतिरिक्त समय की आवश्यकता हो सकती है।
इस क्षेत्र में विशेष आवश्यकता समूह वालों के लिए कार्य के अवसर उपलब्ध हैं।
अनुमानित पाठ्यक्रम शुल्क रूपए 10,000 - 50,000* के बीच है ।
*उपरोक्त आंकड़े अनुमानित हैं। यह अलग-अलग संस्थानों में भिन्न हो सकते हैं।
छात्रवृत्ति
• सभी नवीनतम जानकारियों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल http://www.scholarships.gov.in पर जाएं। इस पोर्टल के अंतर्गत केंद्र के विभिन्न विभागों, यू.जी.सी./ए.आई.सी.टी.ई. योजनाओं और राज्य शासन की योजनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।*
• योग्यता के आधार पर संस्थानों द्वारा भी छात्रवृत्तियां उपलब्ध कराई जाती हैं।*
*(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न हो सकती है।)
ऋण
• विद्यालक्ष्मी, http://www.vidyalakshmi.co.in , शिक्षा ऋण लेने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एक पोर्टल है। यह पोर्टल वित्तीय सेवा विभाग (वित्त मंत्रालय), उच्च शिक्षा विभाग (शिक्षा मंत्रालय) और भारतीय बैंक संघ (आई.बी.ए.) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है , पोर्टल पर कभी भी विद्यार्थी बैंकों में शिक्षा ऋण आवेदनों को देख सकते हैं, आवेदन कर सकते हैं और शिक्षा ऋण की तथागत स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
• कुछ राज्यों में कम ब्याज दर पर विद्यार्थी क्रेडिट कार्ड भी उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, आदि।
• सभी बैंक शिक्षा ऋण प्रदान करते हैं।
कार्य स्थल : क्रोशिया शिल्प निर्माण एजेंसी, क्रोशिया शिल्प बेचने वाली दुकानें, स्वयं सहायता समूह और एनजीओ हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र।
कार्य वातावरण: आम तौर पर सप्ताह में 5-6 दिन 8-9 घंटे काम करना होता है। अतिरिक्त समय की आवश्यकता हो सकती है।
इस क्षेत्र में विशेष आवश्यकता समूह वालों के लिए कार्य के अवसर उपलब्ध हैं।
सहायक → क्रोशिया लेस मेकर- फर्निशिंग(एक्सेसरीज) → प्रोसेस सुपरवाइजर
क्रोशिया लेस मेकर- फर्निशिंग की आय रुपए 8,000 - 20,200* प्रतिमाह हो सकती है।
स्रोत: https://bit.ly/3HXIDw4
*उल्लेखित आय सांकेतिक एवं परिवर्तनीय है।
फील्ड के कुछ अनुभव
उद्यमी तारिषी जैन निश्चित रूप से ऐसी महिला हैं जो हाथ से बनी चीज़ों को प्राथमिकता देती हैं। वर्ष 2015 में, जब वह गर्भवती थीं, उनकी सास ने एक खूबसूरत फ्रॉक बुना, जिसने उन्हें बेहद प्रभावित किया। बुनाई और क्रोशिया में कुशल होने के कारण, उन्होंने इस कला को फिर से अपनाने का फैसला किया। 34 वर्षीय तारिषी याद करती हैं, "मुझे हमेशा से इन गतिविधियों में शामिल होना पसंद था, लेकिन समय के साथ मैं इससे दूर हो गई थी। उस सुंदर फ्रॉक को देखकर, मुझे याद आया कि मैं कैसे क्रोशिया करके खूबसूरत टीवी कवर, रुमाल और लेस बनाती थी। इसलिए, मैंने फिर से इसे आजमाने का निर्णय लिया और दो दिनों में, मैंने अपनी बेटी के लिए एक और सुंदर फ्रॉक बना डाली।"
धीरे-धीरे, उनकी बनी हुई सुंदर वस्तुओं ने दोस्तों और परिचितों का ध्यान खींचा, जिन्होंने उनसे अपने बच्चों के लिए बुनाई करने का अनुरोध किया। मांग बढ़ने पर, तारिषी ने बुनाई और क्रोशिया की कला को और भी लोगों के साथ साझा करने का सोचा। उन्होंने महसूस किया कि एक उद्यम शुरू करके, वह उन महिलाओं की मदद कर सकती हैं जो अपने घरों में आराम से काम करना चाहती हैं। इसी उद्देश्य से वर्ष 2018 में ‘अजूबा’ की स्थापना हुई।
‘अजूबा’ एक स्टार्टअप है जो चार साल तक के बच्चों के लिए हाथ से बने ऊनी क्रोकेट और बुने हुए कपड़े बेचता है। यह स्टार्टअप हरियाणा के सोनीपत में स्थित है और सक्रिय रूप से संचालित होता है। तारिषी के स्टार्टअप शुरू करने के बाद, उनके पति ने भी अपनी नौकरी छोड़कर ‘अजूबा’ के संचालन का जिम्मा संभाल लिया। अब, लगभग चार साल बाद, ‘अजूबा’ को हर महीने करीब 4,000 ऑर्डर मिलते हैं। पिछले एक साल में, इस स्टार्टअप ने 20,000 से अधिक बच्चों को कपड़े पहनाए हैं और वे वर्तमान में 112 कारीगरों के साथ काम कर रहे हैं, जिनमें से अधिकांश गृहिणियां हैं जो इन सुंदर उत्पादों को हाथ से बनाती हैं। पिछले एक साल में, ‘अजूबा’ ने छोटे स्तर पर संचालन करते हुए 1.4 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार किया है।
स्रोत- https://www.thebetterindia.com/238682/knitwear-crochet-buy-online-business-home-setup-startup-haryana-entrepreneurs-children-clothing-winter-ang136/
*उपरोक्त जानकारी केवल प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए है और इसका उपयोग किसी व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जाएगा।